इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ !! जीते थे इस आस में के कभी न कभी तेरा साथ मिलेगा, “शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम दिल की गहराइयों में https://youtu.be/Lug0ffByUck